मेरा बचपन पिलानी जैसे एक छोटे शहर में बीता,आज पिलानी शिक्षा के नाम पर प्रचलित है,मगर उस वक्त स्कूल में बस पढ़ाई होती थी,जगह की कमी थी, उसी माहौल में हम पढे़ जब बैठने को कुर्सी या टेबल नही थी,पेड़ के तने से लगा एक ब्लैक बोर्ड था और हमारी टीचर की कुर्सी के आगे बिछी एक दरी,और लम्बा चौड़ा खुला आसमान। आज उन्ही टीचर को समर्पित मेरी कविता है,मेरी पहली टीचर( पद्मा मैडम) जो आज इस दुनियां में नही हैं एक बूढ़ी अम्मा सी जिन्हे हम कभी-कभी सताने के लिये ताई भी कहते थे, जो हमे माँ सा दुलार भी देती थी, तो मार भी देती थी, उस वक्त सजा के नाम पर होती थी, मैदान में पड़े पत्थरो की सफ़ाई, किन्तु उस माहौल मे भी डर नही था,उस मार में भी प्यार होता था, एक्स्ट्रा पढ़ाई का कोई खर्च नही होता था,सीधे-सीधे कहा जाये तो शिक्षा बिकती नही थी,दान की जाती थी, और आज यह कविता मेरी टीचर को मेरी गुरू दंक्षिणा ही है...
मेरी प्यारी टीचर
छाता लेकर कड़ी धूप में टीचर जी जब आती थी,
घने पेड़ की छाँव तले वो हमको रोज पढ़ाती थी॥
कोई लगाता था झाड़ू,
तो कोई पानी लाता था,
बुहार जगह को सारी,
कोई दरी बिछाता था,
एक कौने से पकड़ के कुर्सी टीचर जी लगाती थी,
घने पेड़ की छाँव तले वो हमको रोज पढ़ाती थी॥
कभी सिखाती क ख ग,
तो कभी दो का पहाड़ा,
गलती हो जाने पर उनका
मोटा डण्डा दहाड़ा,
खाकर डण्डा हम रोते तब प्यार बहुत ही करती थी,
घने पेड़ की छाँव तले वो हमको रोज पढ़ाती थी॥
बैठ दरी पर हम सब बच्चे
भरी दुपहरी पढ़ते थे,
ठण्डी-ठण्डी हवा के झोंके,
तब ऎ सी जैसे लगते थे,
कभी-कभी, बैठे-बैठे ही टीचर जी सो जाती थी,
घने पेड़ की छाँव तले वो हमको रोज पढ़ाती थी॥
झूठ कभी तुम नही बोलना,
सच का पाठ पढ़ाती थी,
सदा बड़ो की सेवा करना,
हरदम यह समझाती थी,
माँ जैसी ही लगती थी जब हमको गले लगाती थी,
घने पेड़ की छाँव तले वो हमको रोज पढ़ाती थी॥
टीचर जी आप कहाँ गईं,
हम याद बहुत ही करते है,
अक्सर अपने बच्चों से जब,
बातें बचपन की करते हैं,
आज पिलादो फ़िर वो अमृत जो शिक्षा में मिलाती थी,
घने पेड़ की छाँव तले वो हमको रोज पढ़ाती थी॥
सुनीता शानू
ऎसा नही की आज ऎसे टीचर नही हैं मगर,
हर कौने में दुकान लगी है,
सब्जी-भाजी संग सजी है,
गुरू दंक्षिणा भी है भारी,
शिक्षा बन बैठी महामारी,
कहते थे जो कल हमेशा,
पढोगे लिखोगे बनोगे नवाब
कहते है वो आज ये ऎसा
पढ़-लिख कर भी करोगे खराब॥
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14 comments:
झूठ कभी तुम नही बोलना,
सच का पाठ पढ़ाती थी,
सदा बड़ो की सेवा करना,
हरदम यह समझाती थी,
माँ जैसी ही लगती थी जब हमको गले लगाती थी,
शिक्षक वह हैं, जो छात्रों को सिर्फ किताबी ज्ञान ही नहीं देता, बल्कि जीवन के संघर्ष में सफल होने का गुरुमन्त्र और रास्ता भी बताता है।
सुनीता जी,
आपने बचपन को याद तो किया. बहुत खूब.
छाता लेकर कड़ी धूप में टीचर जी जब आती थी,
घने पेड़ की छाँव तले वो हमको रोज पढ़ाती थी॥
मैं भी कुछ जोड़ दूँ-
बहुत सुहाने दिन थे वे भी, चिंता की कोई बात नहीं.
कभी डांट, तो कबी प्यार से मुझको वो समझाती थी..
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
Sahi kaha aapne....Dhanyavaad
शिक्षक से हम बरसों सम्पर्क में रहते हैं, एक अजीब सा रिश्ता होता है उससे। वाकई ये कविता में कहने जैसा है।
sheron wali zaldi hi aapke bigade kaam bana degi...
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
मूल ध्यान गुरु रूप है, मूल पूजा गुरु पाँव ।
मूल नाम गुरु वचन है, मूल सत्य सतभाव ॥
हिन्दी, भाषा के रूप में एक सामाजिक संस्था है, संस्कृति के रूप में सामाजिक प्रतीक और साहित्य के रूप में एक जातीय परंपरा है।
बहुत सारी यादें एकसाथ ताजा हो गईं....। अब कहां मिलते हैं वो शिक्षक जो अपना खून तक जला लेते थे हमारी बदमाशियों पर..हमारी नदानियों पर हमारे माता-पिता की तरह। या शायद कहें कि माहौल बदल गया है बालक बदल गए हैं या उनके मां-बाप जो बच्चे पर टीचर का एक थप्पड़ तक बर्दाश्त नहीं कर पाते.....।
Aise shikshak aajkal wirala hee milate hain. par achche shikshak aaj bhee yad aate hain.
सुनीता शानू जी
वाह ! वाऽऽह !
ब्लॉग भी अच्छा ! कविता भी अच्छी ! सारे विचार भी अच्छे !
बधाई ! आभार !!
मेरा एक दोहा आपको सादर समर्पित कर रहा हूं …
पहले-से गुरु ना रहे , ना पहले-से शिष्य !
डर लगता है देख कर तेरा रूप भविष्य !!
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
नमस्कार जी
बहुत खूबसूरती से लिखा है.
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 18 - 08 - 2011 को यहाँ भी है
...नयी पुरानी हलचल में आज ... मैं अस्तित्त्व तम का मिटाने चला था
बदलते हुए परिवेश का असर शिक्षा पर भी पड़ा है ....!!
बढ़िया रचना है ...!!
वाह! आपके अपनी टीचर के प्रति पावन भावनाओं के लिए मेरा सादर नमन.
बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति है आपकी.
आभार.
शिक्षक दिवस पर आपको भी बहुत बहुत बधाई.
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